PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

DEDICATED to Ex-PBKs.
For those who wish to narrate their experiences about the BKs and PBK 'Advanced Knowledge' and post views about their NEW beliefs.
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Re: PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

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शिव प्रवेश करता है तो "ब्रह्मा" नाम पड़ता है| प्रवेश करके अडॉप्ट किया, बन्नी बनाया शिव ने तो दादा लेखराज का नाम बदला| आज भी, शादी के बाद वधु का नाम बदलते है| शिव तो एक में ही आता है| फिर भी, यह भी बताया "अगर दूसरों में प्रवेश करूँ तो भी 'ब्रह्मा' ही नाम रखना पड़े"|

वैसे ही, धर्मपिताओं में और बाकि में होता है|जीसस में क्राइस्ट प्रवेश करता तो क्राइस्ट का नाम पड़ा| सिद्धार्थ में बुद्ध|

अब "वीरेंद्र देव दीक्षित" जी में किसने प्रवेश किया? नाम ही पड़ा ना संगमयुग में "शंकर"| नहीं तो, इतना क्रिएटिविटी कहाँ से आएगी? इतना अज्ञान फैलाते रहें फिर भी लोग प्रभावित होते रहें, किसीको शक आना तो दूर, उल्टा मर मिठे सब| तो किसका प्रभाव था?

शंकर ने प्रवेश किया तो नए नए "अज्ञान" के पॉइंट्स दीक्षित जी के अंदर आने लग गए| यह फिर पागल होगये| गलत समझ बैठे कि शिव ही होगा| वैसे पूरा निश्चय तो इनको आज भी नहीं है खुद पर|

अगला पॉइंट देखो, 'सच्ची गीता' में, "शिव-शंकर व्यक्तित्व एक आत्मा दो" टॉपिक में, पु.69 में:
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मतलब, बाबा दीक्षित जी के हिसाब से शिवबाबा 84 जन्म लेता है| अब और कितना हँसाओगे?

ओरिजिनल मुरली देखो,
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आखरी 2 लाइन पढ़ो ध्यान से, "वह (शिव) चैतन्य में नहीं होता भक्तिमार्ग में|..भक्तों
की मनोकामनाएं पूरी करता है" बताया| दूसरी मुरलियों में बताया, भक्तिमार्ग में तो साक्षात्कार अपने आप होते हैं ड्रामानुसार, फिर भी हीरो पार्टधारी 'शिव' ही है| सारी दुनिया उसको याद करती है 2500 साल तक| कम बात है क्या?

अब दीक्षित जी तो शिवबाबा खुद को समझते है, खुद को हीरो पार्टधारी समझते है| अच्छा मज़ाक कर लेते है वैसे|
हीरो पार्टधारी का सपना तो भूल ही जाओ, 84 जन्म भी नहीं लेने वाले हो|
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Re: PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

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क्या अलग से संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण भी कोई है? आप फिर कल बोलोगे सतयुग में भी अलग से कोई ब्रह्मा-सरस्वती, शंकर-पार्वती होंगे| आपका कोई भरोसा नहीं दीक्षित बाबा|
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अगला जो पॉइंट है, उसका बैकग्राउंड समझते पहले| सब PBKs जानते है, हमारे दीक्षित बाबा ने हमको सिखाया कि 'संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण' अलग और 'सतयुगी लक्ष्मी-नारायण' अलग है| फिर सिखाया कि "संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण" समझदार है, ज्यादा ज्ञान उठाते है इसीलिए विश्व के मालिक बनते है| विश्व माना अभी कलयुग के अंत में| और जो दूसरे "सतयुग के लक्ष्मी-नारायण" है वह बुद्धू है| माना, ज्ञान नहीं उठा पाते|

इसको कहेंगे|अर्थ का अनर्थ करना| असली बात है, बुद्धू माना, कम ज्ञान की बात नहीं है| उस समय सतयुग में ज्ञान भूल जाता है बस| इसीलिए ब्राह्मणों का कुल ही सर्वोत्तम बताया| अब समझदार भी उन्ही 'सतयुगी लक्ष्मी-नारायण " को बताया हुआ है| उसकी वजह बताया, समझदार नहीं होते तो विश्व के मालिक कैसे बनते| मतलब, सतयुग में अगर विश्व के राजा-रानी बनें है तो जरूर सबसे ताक़त भर आत्माये हुए न उस समय के| आज भी जो नई-नई आत्मा दुनिया में प्रभाव दिखा रही है, उनमें बाकि के मुक़ाबले ज्यादा पावर है|

अब विश्व का मतलब यह मत बताना "कलयुग के अंत"| विश्व कब नहीं था? क्या द्वापर के अदि में विश्व था ही नहीं? अभी विश्व नहीं है? विश्व तो है ही हमेशा| कैसे इतना अच्छा मज़ाक कर लेते है दीक्षित बाबा?

"सच्ची गीता" में टॉपिक- "लक्ष्मी-नारायण" में पु. 82 में,
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यह पॉइंट "संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण" के लिए निकाला हुआ है दीक्षित बाबा ने|

अब ओरिजिनल मुरली में देखो,
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भाई साब! जहाँ से "सच्ची गीता" में पॉइंट शुरू हुआ, उससे एकदम पहले (ज्यादा दूर भी नहीं) "सतयुग वालों को समझदार" बताया| फिर तो फिर, सतयुग वालों को "विश्व के मालिक" भी बताया|

देखो इनका पॉइंट बनाने का तरिका|

हमने अपनी ज़िन्दगी में बहुत से अनपढ़ लोग देखें है, लेकिन वह सब के सब दीक्षित जी से होशियार नज़र आरहे हैं आज|
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जैसे पिछले पोस्ट में बताया था, संगमयुग में कोई लक्ष्मी-नारायण नहीं होते हैं| बाबा दीक्षित जी ने तो कसम खाई हुई है फेल होने की जो सिर्फ और सिर्फ फालतू बातें सिखाते है|

अब उस सच्ची गीता में 'लक्ष्मी-नारायण' टॉपिक में जितने भी पॉइंट्स है, वह सब 'सतयुगी लक्ष्मी-नारायण' के लिए ही है| जहाँ हीरे जैसे जन्म की बात आती है| वह संगमयुगी "ब्राह्मण कुल" की बात है, न की कोई 'संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण' की|

कुछ और पॉइंट "सच्ची गीता" के शार्ट में देखेंगे|

पहला:
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देखो, "सच्ची गीता" में दिखाने चाह रहे की "संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण" सेकंड नंबर में है| मतलब ब्रह्मा-सरस्वती से दीक्षित बाबा ऊपर है| शिव के बाद यह है सेकंड नंबर में खुद|
ओरिजिनल मुरली में "सतयुगी लक्ष्मी-नारायण" की ही बात हो रही है जो विश्व के मालिक भी बनते है और शिव के बाद वह सतयुग वाले ही सेकंड नंबर में है| इसको 'सच्ची गीता' में छिपा के क्या पॉइंट बनाया| ध्यान दो, उस लाइन में 'सतयुग' को ही विश्व बोल दिया|

दूसरा:
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यहाँ भी 'सच्ची गीता' में यह बताना चाहते कि 'संगमयुग के लक्ष्मी-नारायण' ही विश्व के मालिक बनेंगे| वही 84 जन्म| वही "न्यू मेन और न्यू वूमेन" है|
लेकिन ओरिजिनल मुरली में, फिर से "सतयुग के लक्ष्मी-नारायण" की ही बात हो रही है|
उनको ही "आलराउंड पार्ट" वाले बताया | लेकिन इन्होने हमेशा की तरह उस बात को छिपा दिया 'सच्ची गीता' में|

क्या दीक्षित बाबा जी| क्या मायावी बुद्धि है आपकी! मायावी से याद आया-
17.10.67, प्रा. पु.3 मध्यादि में,
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संगमयुग में सिर्फ ब्राह्मण ही होते है| यहाँ कोई 'लक्ष्मी-नारायण' नहीं होते| न ही हम डायरेक्ट इसी शरीर से 'नारायण' बनते| नारायण तो होता ही 'सतयुग' में|
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पहला पॉइंट:
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इस 'सच्ची गीता' पॉइंट में भी, बाबा दीक्षित साबित करना चाह रहे कि "तुम इस पढाई से राजा बनते" का मतलब सीधा इसी जन्म में बन जायेंगे| प्रिंस बनने की जरुरत नहीं|
जो बिलकुल गलत है हमेशा की तरह|

वास्तव में, इसमें सिर्फ इतना बताया कि द्वापर-कलयुग में जो दान-पुण्य करते है तो उनको अच्छे घर में जन्म मिलता है, कोई राजाओं के पास| फिर बड़े होके राजा बनते है| हम में और उनमें क्या फरक है? बनेंगे तो हम भी पहले प्रिंस, अच्छे घर में राजाओं के पास प्रिंस बनके जन्म लेंगे, फिर राजा बनेंगे, जो हर मुरली में बताया हुआ है|
लेकिन फरक यह है कि "वह दान-पुण्य करके बनते" है, "हम पढाई से बनते" है| बाबा दीक्षित खुद तो मंद बुद्धि है ही, साथ में हम सब PBKs को भी पूरा गिरा दिया बुद्धि से|
देखो वहां ओरिजिनल मुरली में, सतयुग में राजा बनने की ही बात हो रही है| न कि डायरेक्ट संगमयुग में| सतयुग में मतलब, पहले प्रिंस फिर राजा बनेंगे|

अगला देख लो,
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ध्यान से देखना| नीचे जो ओरिजिनल मुरली है उसमें जितना अंडरलाइन किया है उतना ही 'सच्ची गीता' में डाला है| आधा अधूरा पॉइंट डालके साबित कर रहे कि 'संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण' का जन्म 'हीरे जैसा' है| कितना बकवास करता है यह आदमी|

ओरिजिनल मुरली में जो हाईलाइट करके दिखाया हुआ है उसको ध्यान से पढ़ना| हीरे जैसा जन्म "ब्राह्मणो" का होता है जिनको बाप पढ़ा रहे है, जो ईश्वरीय संतान है|
बाकि संगम में कोई लक्ष्मी-नारायण नहीं होते मेरे भाई| न ही कोई डायनेस्टी| सिर्फ कुल कहा गया है इसको| रजाई सिर्फ सतयुग में मिलेगी|
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'लक्ष्मी-नारायण' टॉपिक पर प्रूफ दिखाते-दिखाते थक जायेंगे| कितने सारे प्रूफ है!

पहला:
"सच्ची गीता" में टॉपिक- "लक्ष्मी-नारायण" में पु. 83 में,
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बाबा दीक्षित जी तो हमेशा कहते कि 'सतयुगी लक्ष्मी-नारायण' तो सिर्फ 16 कला सम्पूर्ण बनेंगे, हम तो भाई उससे भी ऊँची स्टेज वाले हैं, कालातीत स्टेज में जायेंगे|
अब इस 'सच्ची गीता' पॉइंट में, "16 कला सम्पूर्ण यहाँ बनना है" आगया ना, इसीलिए फिर ब्रैकेट में लख दिया (संगमयुग पर)| अरे, पहले तो बोला, हम 16 कला से भी ऊपर जायेंगे|

असली बात है, हम सतयुग में ही 16 कला सम्पूर्ण बनेंगे| लेकिन देवी गुणों की धारणा संगम पर करेंगे| आत्मा में संस्कार तो चाइए ना|

दूसरा:
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इसमें देख लो, दीक्षित जी साबित कर रहे है 'सच्ची गीता' में कि बाकि सब मुक्तिधाम चले जायेंगे और हम इसी शरीर से यहाँ राज्य करेंगे, गद्दी पर बैठेंगे|
ओरिजिनल मुरली में, अगले लाइन में ही बोल दिया "जब तुम चक्र पर समझाते हो तो दिखाते हो कि सतयुग में यह अनेक धर्म है नहीं| सभी आत्माएं निराकारी दुनिया में रहती हैं"| बताओ भाई, उसी मुरली में बताया, सतयुग में हम गद्दी बसायेंगे|

तीसरा,
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हद होगयी| इस "सच्ची गीता" पॉइंट में बाबा दीक्षित साबित कर रहे कि "प्रैक्टिकल" मतलब हम संगमयुग में ही लक्ष्मी-नारायण" के रूप में आवेंगे|

ओरिजिनल मुरली में, इस पॉइंट से एक लाइन पहले, यह बताया कि "सतयुग में लक्ष्मी-नारायण प्रैक्टिकल में राज्य करेंगे..."|

है न शंकर जी का पार्ट वंडरफुल|
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भक्तिमार्ग में भी ऐसे ही होता है| बेकार का मेहनत करते रहते है, प्राप्ति कुछ नहीं|
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बहुत भारी पॉइंट है, ध्यान दो|

"विजयमाला का आव्हाहन करो| अरे! अव्यक्त वाणी में भी बोल दिया| करो सब, अमृतवेले भी आव्हाहन करो"|

हम सब PBKs ने किया भी खूब| खूब मेहनत किया इसके पीछे| फिर बाबा दीक्षित बताते कि "शास्त्रों में दिखाया, रावण की जान उसकी नाभि में होती है, यह बात विभीषण ने राम को बताई (घर का भेदी लंका ढाए)| मतलब यहाँ, अव्यक्त वाणी में, ब्रह्मा ने बता दिया| नाभि मतलब जहाँ 16108 नस-नाड़ियां मिलती हैं| मतलब विष्णु, जिसकी नाभि से ब्रह्मा को निकलते हुए दिखाते है| तो 'मधु मक्खी', उसमें भी मुखिया का आव्हाहन कर दो फिर सारा झुण्ड पीछे पीछे आजायेगा, सारा विजयमाला आएगा "|

अति अद्भुत ज्ञान है भाई| पहली बात तो "विजयमाला" संगमयुग में होती ही नहीं|

आधा अधूरा मुरली पढ़ने वाले ने क्या क्या फालतू मेहनत करवा दिया| इसके लिए "सच्ची गीता" एक पॉइंट बनाके डाला है"
टॉपिक का नाम "लक्ष्मी-नारायण", पु. 85 में,
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यह पॉइंट पढ़के सबको लगेगा विजयमाला का आव्हाहन करना है|

अब ओरिजिनल मुरली देखो,
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वह 5-6 लाइन ठीक से पढ़ो| इसमें बात हो रही कि किस तरह बाबा आत्माओं को परमधाम ले जाते है| आत्माओं का झुण्ड जाती है वापस ऊपर|

और देख लो,
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इसमें भी आत्माओं को जिस तरह ले जाते है वापस, उसके लिए मधु मक्खियों का झुण्ड का उदहारण दिया है|

भक्तिमार्ग में भी ऐसे ही होता है| बेकार का मेहनत करते रहते है, प्राप्ति कुछ नहीं| यह तो बस एक उदहारण हुआ| ऐसी हज़ारों बातें है, सब दिखाएंगे एक अलग टॉपिक बनाके|
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विश्व तो हमेशा है ही दीक्षित बाबा| विश्व कब नहीं था? द्वापर में भी था, सतयुग में भी था| अब हम आपको a,b,c,d से सिखाना शुरू नहीं कर सकते ना|
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पहला:
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बाबा दीक्षित "इस सच्ची गीता पॉइंट" से यह साबित कर रहे कि यह खुद "संगमयुगी नारायण" है और पहले नंबर में है और इनकी ही पूजा होती है भक्तिमार्ग में|
ओरिजिनल मुरली में तो साफ़ साफ़ बता दिया कि "सतयुगी लक्ष्मी-नारायण" की पूजा होती है जो विश्व के मालिक थे| वही पहला नंबर है| दूसरी बात यह भी साफ़ बताया "भल है भारत में ही परन्तु है तो विश्व के मालिक| और कोई रजाई ही नहीं"|

यह सब बातें काट के पॉइंट बनाया फिर कहते कि विश्व माना कलयुग के अंत में|ऊपर बता दिया, भारत ही था फिर भी विश्व| अंधकार की हद होगयी|

दूसरा:
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बाबा दीक्षित "इस सच्ची गीता पॉइंट" से यह अंधकार फैला रहे कि "संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण", मतलब वह खुद, डायरेक्ट ईश्वर की संतान है| और "सतयुग के लक्ष्मी-नारायण" तो दैवी संतान है"|
देखा जाये तो, इस पॉइंट के शुरू में ही बोल दिया "तुम ब्राह्मण", मतलब ब्राह्मण ईश्वर के संतान है, न की "संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण"| एकदम अंधे हो जाते है यह|

अब ओरिजिनल मुरली में, "सतयुगी लक्ष्मी-नारायण" को ही भगवान्-भगवती भी बता दिया; परन्तु कह नहीं सकते| क्योंकि भगवान तो निराकार होता है| अब भगवान-भगवती वाला पॉइंट भी क्लियर होगया| कितना झूठा इंसान है दीक्षित बाबा!

तीसरा:
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फिर से इस 'सच्ची गीता' पॉइंट में बाबा दीक्षित जी का वहीँ बचपना| कह रहे "विश्व मतलब '500-700' करोड़ की दुनिया, हम 'संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण' इस विश्व के मालिक बनते है|
मेरे अंधे भाई, उस "सच्ची गीता पॉइंट" में भी आखिर में लिखा है "आधा कल्प विश्व के मालिक थे", फिर भी समझ में नहीं आया "विश्व" क्या होता है|अक्ल के तो अंधे हो ही|

अब ओरिजिनल मुरली में तो अगले लाइन में ही बता दिया, "वहां अद्वैत राज्य था| एक धर्म था (जहाँ ल.ना विश्व के मालिक थे)"| दीक्षित जी उलटा कहते कि विश्व का मतलब "जहाँ सब धर्म हो, 700 करोड़ लोग हो" वगैरा| इतना अँधा आदमी न कभी पैदा हुआ होगा, न ही कभी होगा|
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दीक्षित बाबा, कोई भी एक मुरली दिखा दो जिसमें "संगमयुगी राधा-कृष्ण", "संगमयुगी ल.ना" लिखा हो| फिर "राम-सीता" नाम का होने का क्या फायदा?
"राम-सीता" का नाम जरूर लिया है मुरलियों में, हज़ार बार बताया, राम-सीता बनने का पुरुषार्थ मत करना| वह नहीं बताओगे आप?

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"सच्ची गीता" पॉइंट:
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बाबा दीक्षित जी का कहना है कि उनका आपस में मात-पिता और बच्चों का सम्बन्ध है|शर्म नहीं आती क्या? एक तो, एक ही आदमी को 2 बना दिया|वह तो फिर भी ठीक है| लेकिन राधा-कृष्ण दोनों एक ही माँ-बाप के बच्चें? यह तो खुलके बोलते है भाई-बहन ही शादी जरते है सतयुग में| सब उलटा| जहाँ भाई-बहन बनना है (संगमयुग में), वहां नहीं बनते| यहाँ तो ढेर सारे युगल बनाते है| और जो युगल है सतयुग में, उनको भाई-बहन बताते हो|

एक मुरली में यह भी बोला, शास्त्रों में तो राधा-कृष्ण को भी भाई-बहन समझ लेते है| फिर 1000 बार बताया मुरली में "वह कोई भाई-बहन थोड़ी है, भाई-बहन में शादी होता है क्या"?

दूसरा पॉइंट देखो,
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यहाँ भी दीक्षित जी का वहीँ कहना है कि ल.ना माँ-बाप है, वह भी संगमयुग में? हद है| मालिक, यहाँ तो भाई-बहन से भी ऊपर जाना है| उल्टा युगल बन बैठ गए|

इन सारे पॉइंट्स का एक ही मतलब है जो अगला सच्ची गीता पॉइंट में है,
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इसको दीक्षित जी संगमयुग में लेके आगये| संगमयुग में कौनसे राजायें है बेहद में भी बताओ ? न ही यहाँ कोई राधा-कृष्ण या ल.ना होते हैं| उल्लू हो क्या?

वास्तव में, सारी बातें हद की है| अगले जन्म में विनाश के बाद राधा-कृष्ण जन्म लेंगे अलग अलग राजाओं के पास, फिर उनका स्वयंवर होगा तब फिर गद्दी पर जब बैठे तो ल.ना बनते है|

इसके सम्बंधित ढेर सारे पॉइंट्स 'सच्ची गीता' में ही है| बस, बेहद में कुछ भी मत समझना, बाबा का सीधा सादा बच्चा बनके पढ़ेंगे तो समझ में आजायेगा, हिंदी में ही है, नीचे दिए टॉपिक में,
'संगमयुगी राधे-कृष्ण का स्वयंवर'
संगमयुगी कृष्ण जन्म'
'संगमयुगी बालकृष्ण'
'लक्ष्मी-नारायण'
'संगमयुगी राधा-कृष्ण के फुटकर पॉइंट्स'


बस, यह ध्यान देना है कि जो टॉपिक के नाम में "संगमयुगी" लगाया हुआ है, वह गलत है, सब सतयुग के बारे में पॉइंट्स है और सब हद में है| सिर्फ हिंदी आना चाइए बस| बाकि इससे सम्बंधित ओरिजिनल मुरली पॉइंट्स बाद में बताएँगे|
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अब बस कुछ और पॉइंट्स बताते है शार्ट में,

पहला :
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'सच्ची गीता' में 'संगमयुगी लक्ष्मी-नारायाण' के लिए यह पॉइंट बनाया| लेकिन ओरिजिनल मुरली में 'नए तन', 'नई दुनिया' की बात हो रही है, मतलब सतयुग के लक्ष्मी-नारायण| उसको 'सच्ची गीता' में बीच में से भी उड़ा दिए "..." डालके|

दूसरा :
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वाह रे रावण! ओरिजिनल मुरली से एक आखरी लाइन उठाके साबित करने चले हो कि 'शिवबाबा" कम्पिल में आते है| टॉपिक का नाम देखो|
उसी मुरली में इस लाइन से पहले ब्रह्मा की बात रही है, "गावरों में रहता था, सिक्खों का ग्रन्थ पड़ता था" वगैरा| कुछ तो शर्म करो दीक्षित बाबा| पहले "इंसान" तो बनना, देवता बाद में|

तीसरा :
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उपरवाले में 1st पॉइं- इस "सच्ची गीता" के पॉइंट में, बीच में लिख दिया ब्रैकेट में "एक साथ"| अरे भाई, "अब तीनों द्वारा तो नहीं बोलेंगे ना" आया तो ख़त्म, जिसका मतलब सिर्फ ब्रह्मा द्वारा ही बोलेंगे| ऐसे नहीं कि "एक साथ" नहीं बोलेंगे लेकिन अलग अलग बोलेंगे| अगर बोलना होता तो भी अलग-अलग ही बोलते है, एक साथ बोल भी कैसे सकते? फिर ऐसे क्यों बोला "अब तीनों द्वारा तो नहीं बोलेंगे ना"? तो फिर "विष्णु पार्टी" को भी मानना चाइए, अगर शिव तीनों द्वारा अलग-अलग समय बोलते है तो| और कितना गिरोगे?

उपरवाले में 2nd पॉइंट- यहाँ भी देखो, दीक्षित जी ब्रैकेट में लिखते है (सम्पूर्ण ब्रह्मा)|
सीधा सीधा पॉइंट है, बताया "ब्रह्मा और शिव को बाबा कहेंगे, विष्णु और शंकर को बाब नहीं कहेंगे"|
कोई अँधा भी पढ़ लेगा, समझ भी जायेगा| लेकिन दीक्षित जी उसमें भी कहते कि "सम्पूर्ण ब्रह्मा" को बाबा कहेंगे| जो मन में आया बोल देना है बस| सम्पूर्ण हो या अपूर्ण हो, ब्रह्मा तो एक ही है ना| वही अप्पूर्ण से सम्पूर्ण बनता है, विष्णु| उसको बाबा कहेंगे, सम्पूर्ण न हो तभी| बाकि शंकर को न बाबा कहेंगे, न ही सम्पूर्ण बनता है| फिर यादगार में, तपस्या करते हुए क्यों दिखाया? यादगार तो अंतिम स्टेज का बनता है, पुरुषार्थी स्टेज का नहीं| न ही शंकर की पूजा होती है| अरे, पूजा करना भी चाहे तो सीढ़ी लगाना पड़े, इतने बड़े बड़े मूर्ति जो होते है| मंदिर के बाहर क्यों बिठाते उसको हमेशा? सम्पूर्ण होता तो पूजा होती, अपूर्ण है तभी तपस्या कर रहा है| 5 विकार भी दिखाते है सर्प के रूप में| विकारी है तभी तपस्या में बैठा हुआ है| अंत तक सम्पूर्ण नहीं बन पाया|
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Re: PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

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"दीक्षित जी का पार्ट समझना और दूसरों का समझाना, यह भी जरुरी है| मज़ाक के रूप में, बाकि कोई निंदा या स्तुति की बात नहीं है|
हमें तो बहुत सीखने को मिला जब इनका असलियत का पता चला तो| दुश्मन के बारे में जानना भी जरुरी है| है तो खेल"|

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अब पूरा "सच्ची गीता" को expose करने में 2 महीने में और लग जायेंगे| इतना काफी है|

बाकि, जैसे पहले बताया था, PBKs और दीक्षित बाबा इतने बेवकूफ है, "सच्ची गीता" के पॉइंट्स के साथ, ओरिजिनल मुरली भी खुद ही अपना वेबसाइट में डालके रखा है| वहां से हर टॉपिक का हर पॉइंट वेरीफाई कर सकता है कोई भी चाहे तो| साथ में बाकि और भी लिटरेचर का ओरिजिनल मुरली वहां है| सच्चाई सामने आजायेगी देख के| इसमें ख़ास यह दो वेरीफाई करो चाहो तो (इसमें स्कैन मुरली है),

1. सच्ची गीता खंड 1- http://www.adhyatmik-vidyalaya.com/sacc ... khand.aspx
2. सच्ची गीता पॉकेट- http://www.adhyatmik-vidyalaya.com/sacc ... ocket.aspx

इसके ऊपर एक पोस्ट बनाया था| इसी टॉपिक में viewtopic.php?f=37&t=2721 ,
इस “पॉकेट“ शब्द को सर्च करो तो उस पोस्ट पर पहुँच जाओगे| इसी पोस्ट में, हमारा 'एडवांस नॉलेज' छोड़ने के बाद का कुछ अनुभव भी बताया हुआ है|

टाइप किया हुआ मुरली इस लिंक से मिलेंगे, http://www.adhyatmik-vidyalaya.com/MurliScript.aspx
ओरिजिनल स्कैन मुरली: http://www.adhyatmik-vidyalaya.com/ScanMurli.aspx
नया 'सच्ची गीता खंड 1': http://www.PBKs.info/Website%20written% ... 1hindi.pdf

"सच्ची गीता" पॉइंट्स वेरीफाई करने के लिए कुछ टिप्स दिए है एक पोस्ट में, उस पोस्ट पर पहुँचने के लिए, इसी टॉपिक में "तरीकें" शब्द सर्च करो|

इसके बाद सबसे जरुरी बात है, हमारे हिसाब से "ज्ञान" तो बहुत ही छोटी चीज है| लेकिन पुरुषार्थ तो अज्ञान को मिठाने का हैं, उसमें ही टाइम लगता है| "एडवांस नॉलेज" ने तो अज्ञानता फैलाने में नंबर 1 हासिल किया| अब इस बात का उजागर करना भी सेवा ही है| पहले अज्ञान से तो बहार आएं तब फिर ज्ञान समझेगा| वरना, कुछ भी नहीं होने वाला है| जिनको भी यह बात ठीक लगती हो, यहाँ बताई गई बातों में सच दिखता हो तो जितना हो सकें, इन बातों को फैलाओ| इस टॉपिक का लिंक कॉपी (copy) करो फिर जहाँ PBKs के यूट्यूब वीडियो मिलेंगे, उसमें कमेंट कर देना पेस्ट (paste) करके, उस वीडियो के कमैंट्स के अंदर रिप्लाई (reply) करके भी, फिर फेसबुक (इसमें थोड़ा दिक्कत है), व्हाट्सप्प, ट्विटर, इंस्टाग्राम, ईमेल (emails) द्वारा जैसे हो सके|

अज्ञानता को मिठाने में यह पहला स्टेप है, पहले खुद समझो और दूसरों को भी सिर्फ लिंक भेज दो बस, अगर ऐसा करना ठीक लगता हो तो|
कोई PBK नहीं समझता है तो भी कोई बात नहीं| कम से कम 'एडवांस का अज्ञानता' फैलाने से तो डरेंगे| बेइज्जत भी होते रहेंगे, जैसे जैसे सच्चाई फैलेगी|
वैसे, खुद दीक्षित बाबा डरे हुए है| और अभी तो बहुत नए नए टॉपिक लाएंगे|

यह सब पॉइंट्स को वीडियो रूप में कन्वर्ट करने का भी प्लान है|

अगला टॉपिक: viewtopic.php?f=37&t=2724
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Re: PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

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यह वाला टॉपिक ख़त्म हुआ| इसके ऊपर वाला पोस्ट आखरी वाला था, जिसमे कुछ लिंक वगैरा दिया है| इसके बाद,

अगला टॉपिक::viewtopic.php?f=37&t=2724
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Re: PBKs - 'Sacchi Gita Khand 1' EXPOSED [Hindi]

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विशेष घोषणा
++++++++++
अब समाज सेवा में बिलकुल रूचि नहीं है हमें| लेकिन, ज़िंदा रहने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा|

तो सुनो, जिसको भी ज्ञान के बारे में समझना है, कि असली ज्ञान क्या है? पीबीकेज की सच्चाई क्या है? बीकेज की सच्चाई क्या है? और इनका पर्दाफाश करना हो, तो तुरंत संपर्क करो|

जो भी interested है नीचे दिए गए email id और फ़ोन नंबर पर संपर्क करो|

वैसे हर-एक को मौका नहीं दिया जाएगा| देखा जायेगा कि कम से कम लायक तो है या पूरा ही गया गुज़रा है|

बाकी, Terms and Conditions बाद में समझायेंगे|
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