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by Zero Zero
11 Jan 2024
Forum: For BKs - to discuss BK experiences
Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli मनुष्य तो हद की बातें सुनाते हैं। बाप तुम्हें बेहद की बातें सुनाते हैं। तुम बच्चों को बहुत पुरूषार्थ करना चाहिए। बहुत नशा चढ़ना चाहिए। जिन्होंने कल्प पहले पुरूषार्थ किया, जो पद पाया है वही पायेंगे। अनेक बार तुम बच्चों को माया पर जीत पहनाई है। फिर तुमने हार भी खाई है। यह भी ड्रामा बना हु...
by Zero Zero
10 Jan 2024
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Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli आत्मा अशरीरी आई है, अशरीरी बन जाना है। वहाँ शरीर का कोई सम्बन्ध नहीं। अब अशरीरी बनना है। आत्मायें वहाँ से आती हैं, आकर शरीर में प्रवेश करती हैं। ढेर की ढेर आत्मायें आती रहती हैं। सबको अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है। जो नई पवित्र आत्मायें आती हैं, उनको ज़रूर पहले सुख मिलना है इसलिए उनकी महि...
by Zero Zero
09 Jan 2024
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Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बाप कहते हैं - अब तो आफतें सिर पर खड़ी हैं, इसलिए पुरुषोत्तम बनने का इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है। बाप को याद करने का पुरुषार्थ करते रहो तो विकर्म विनाश होंगे, और जितना जो पढ़ेंगे वह ऊंच कुल में जायेंगे। बाप कहते हैं - अपनी घोट तो नशा चढ़े! सदा बच्चों को बाप से व...
by Zero Zero
08 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli यह भी बना बनाया ड्रामा का खेल है। ‘स्वर्ग’ कहा जाता है सतयुग को; क्रिश्चियन लोग भी कहते हैं पहले-पहले हेविन था। भारत अविनाशी खण्ड है। सिर्फ उन्हों को पता नहीं कि हमको लिबरेट करने वाला बाप भारत में आता है। शिव जयन्ती भी मनाते हैं तो भी समझ नहीं सकते हैं। अभी तुम समझाते हो कि भारत में शिव...
by Zero Zero
07 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani यह वर्ष सर्व बातों से मुक्त वर्ष मनाओ – ‘मुक्ति वर्ष’! जब यह ‘मुक्ति वर्ष’ मनायेंगे तब मुक्तिधाम में जायेंगे। इसके लिए क्या करेंगे? बहुत छोटी सी बात है, बड़ी बात नहीं है। बापदादा सिर्फ छोटा सा स्लोगन दे रहे हैं ‘सफल करो, सफलता लो’! समझा? ‘सफल करो, सफलता लो!’ क्या सफल करना है? जो भी आपके...
by Zero Zero
06 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli जैसे देवतायें पवित्र थे ऐसे बनना है। फिर आधाकल्प पवित्र रहेंगे। बहुत कहेंगे – ‘यह कैसे हो सकता है? वहाँ भी बच्चे पैदा होते हैं!’ तो फट से बोलो – ‘वहाँ रावण नहीं है। रावण द्वारा ही विकारी दुनिया होती है। राम, बाप आकर पावन बनाते हैं। वहाँ पतित कोई हो नहीं सकता!’ कोई कहते हैं – ‘पवित्रता क...
by Zero Zero
05 Jan 2024
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Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli मुख्य बात है ‘मनमनाभव!’ बाप कहते हैं - हे आत्मायें, तुम मुझ अपने बाप को बुलाती हो कि आकर पतितों को पावन बनाओ, पावन दुनिया बनाओ। बाप समझाते हैं - ड्रामा प्लैन अनुसार जब मुझे आना होता है तो चेन्ज जरूर होती है। सतयुग से लेकर जो कुछ पास हुआ सो फिर रिपीट करेंगे। सतयुग-त्रेता फिर ज़रूर रिपीट ...
by Zero Zero
03 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli इस (रूहानी) यात्रा का कोई वर्णन है नहीं। भल (भक्ति मार्ग की) गीता में अक्षर है ‘मनमनाभव’। परन्तु उनका अर्थ क्या है? ‘अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो’ - यह किसकी बुद्धि में नहीं आता। जब बाप आकर समझाये तब किसकी बुद्धि में आये। इस समय तुम मनुष्य से देवता बनते हो। मनुष्य यहाँ हैं, देवता सत...
by Zero Zero
03 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli तुम हो बेहद के बाप के बच्चे। बाप से बेहद का वर्सा लेना है। अभी भक्ति आदि करने की दरकार नहीं है। यह तो बच्चे समझ गये हैं - यह युनिवर्सिटी है। सब मनुष्य मात्र को पढ़ना है। बेहद की बुद्धि धारण करनी है। अभी यह पुरानी दुनिया चेन्ज होनी है। जो अब तमोप्रधान हैं वह सतोप्रधान होंगे। बच्चे जानते ...
by Zero Zero
02 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli अकाल-मूर्त तो आत्मा है ना। उनको कभी काल खा न सके। आत्मा को तो पार्ट मिला हुआ है, सो तो पार्ट बजाना ही है। उनको काल खायेगा कैसे। शरीर को खा सकता है। आत्मा तो अकाल मूर्त है। ... ज्ञान का सागर है ही एक बाप। मनुष्य को ‘ज्ञानवान’ नहीं कहा जायेगा। देवतायें भी तो मनुष्य हैं ना। परन्तु दैवीगुण ...
by Zero Zero
01 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli यह तो रूहानी बच्चे जानते हैं अब सारी दुनिया तमोप्रधान है। आत्मायें ही सतोप्रधान थीं नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार; अब तमोप्रधान बनी हैं। फिर बाप कहते हैं सतोप्रधान बनना है इसलिए अपनी बुद्धि को बाप के साथ लगाओ। अब वापिस जाना है; और कोई को भी पता नहीं कि हमको वापिस घर जाना है। और कोई भी नहीं ...
by Zero Zero
31 Dec 2023
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani विश्व कल्याणकारी हो; अभी बेहद में जाओ। बेहद में जाने से हदों की बातें स्वत: ही समाप्त हो जायेंगी। मनोबल बहुत श्रेष्ठ बल है, उसको यूज़ नहीं करते हो। वाणी, संबंध, सम्पर्क उससे सेवा में बिजी रहते हो। अब मनोबल को बढ़ाओ। बेहद की सेवा, जो अभी आप वाणी या संबंध, सहयोग से करते हो, वह मनोबल से कर...
by Zero Zero
30 Dec 2023
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli संन्यासी भी यही कहते हैं कि ‘नर्क का यह सुख काग विष्टा समान है’। उनको यह पता नहीं कि स्वर्ग में अथाह सुख हैं। यहाँ पर 5 परसेन्ट सुख और 95 परसेन्ट दु:ख है। तो इसको कोई ‘स्वर्ग’ नहीं कहा जायेगा। स्वर्ग में तो दु:ख की बात नहीं रहती। यहाँ तो अनेक शास्त्र, अनेक धर्म तथा अनेक मतें हो गई हैं। ...
by Zero Zero
29 Dec 2023
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बाप कहते हैं - दाता मैं एक ही हूँ; अन्य किसी को भी दाता नहीं कह सकते। बाप से सब मांगते हैं। साधू लोग भी मुक्ति मांगते हैं। भारत के गृहस्थी लोग भगवान् से जीवनमुक्ति मांगते हैं। तो दाता एक हो गया। गाया भी हुआ है - सर्व का सद्गति दाता एक! “ The Father says – I, ALONE, am the Bestower; no o...
by Zero Zero
28 Dec 2023
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli हम भारत की रूहानी सेवा करते हैं। हमारा उस्ताद, मददगार परमपिता परमात्मा शिव है। उनसे हम योगबल से शक्ति लेते हैं, जिससे हम 21 जन्म एवरहेल्दी बनते हैं। यह गैरन्टी है! कलियुग में तो सब रोगी हैं, आयु भी कम है। सतयुग में इतनी बड़ी आयु वाले कहाँ से आये? इस राजयोग से इतनी बड़ी आयु वाले बनते हैं...