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by Zero Zero
26 Jan 2024
Forum: For BKs - to discuss BK experiences
Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बच्चे नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार अपनी कर्मातीत अवस्था को पाते हैं, कल्प पहले मुआफिक - फिर विनाश हो जायेगा। अभी तो रहने की ही जगह नहीं है। अनाज नहीं - खायें कहाँ से? अमेरिका में भी कहते हैं, ‘करोड़ों मनुष्य भूख में मरेंगे’। यह नैचुरल कैलेमिटीज़ तो होनी ही है। (महाभारी महाभारत) लड़ाई लग जा...
by Zero Zero
25 Jan 2024
Forum: For BKs - to discuss BK experiences
Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli दिल में आना चाहिए कि हमको ऐसा बाप मिला है जो न कुछ खाता, न पीता, न लेता। कुछ भी उनको दरकार नहीं। ऐसा तो कोई हो नहीं सकता। एक ही निराकार ऊंच ते ऊंच भगवान ही गाया हुआ है। उनको ही सब याद करते हैं। वह तुम्हारा बाप भी अभोक्ता, टीचर भी अभोक्ता तो सतगुरू भी अभोक्ता। कुछ भी लेते नहीं, लेकर वह क...
by Zero Zero
24 Jan 2024
Forum: For BKs - to discuss BK experiences
Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli पहले-पहले तो यह दृष्टि पक्की करो कि ‘हम आत्मा हैं, हम भाई-भाई को देखते हैं’। जैसे बाप कहते हैं - मैं बच्चों (आत्माओं) को देखता हूँ। आत्मा ही शरीर की कर्मेन्द्रियों द्वारा सुनती है, बोलती है। आत्मा का तख्त है भ्रकुटी। तो बाप आत्माओं को देखते हैं। ... आत्मा ही सुनती है, आत्मा ही चुरपुर कर...
by Zero Zero
23 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बच्चे जानते हैं - इस नाटक में सभी अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं। बेहद का बाप भी इस बेहद के ड्रामा में सम्मुख का पार्ट बजा रहे हैं। स्वीट बाप के तुम स्वीट बच्चों को स्वीटेस्ट बाप सम्मुख नज़र आता है। आत्मा ही इस शरीर के आरगन्स से एक दो को देखती है। तो तुम हो स्वीट चिल्ड्रेन। बाप जानते हैं -...
by Zero Zero
22 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli कान्ट्रास्ट बताना चाहिए, जो मनुष्य अपने को नर्कवासी पतित कंगाल समझें। लिखना चाहिए – ‘अब यह पुरानी कलियुगी दुनिया है; सतयुग स्वर्ग नई दुनिया है। तुम नर्कवासी हो या स्वर्गवासी? तुम देवता हो या असुर?’ ऐसे तो कोई नहीं कहेंगे कि हम स्वर्गवासी हैं। कई ऐसे समझते हैं, ‘हम तो स्वर्ग में बैठे हैं...
by Zero Zero
21 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani स्नेह ऐसी शक्ति है जो सब कुछ भुला देती है। न देह याद आती, न देह की दुनिया याद आती। स्नेह मेहनत से छुड़ा देता है। जहाँ मोहब्बत होती है वहाँ मेहनत नहीं होती है। स्नेह सदा सहज बाप-दादा का हाथ अपने ऊपर अनुभव कराता है। स्नेह छत्रछाया बन मायाजीत बना देता है। कितनी भी बड़ी समस्या रूपी पहाड़ हो...
by Zero Zero
20 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli सारी मुख्य बात (सच्ची) गीता पर है। मनुष्यों की बनाई हुई गीता को पढ़ते-पढ़ते आधाकल्प नीचे उतरते आये हैं। यह भी तुम बच्चे समझते हो - आधाकल्प है दिन, आधाकल्प है रात। ... भाई और बहनों आकर समझो – एक (सच्ची) गीता शास्त्र है ज्ञान का, बाकी सब शास्त्र हैं भक्ति के। ज्ञान का शास्त्र एक ही है जो ...
by Zero Zero
19 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli गाते तो सब हैं, ‘पतित-पावन’ - ‘हे पतितों को पावन बनाने वाले सीताओं के राम आओ’। परन्तु अर्थ नहीं समझते हैं। यह भी जानते हैं कि बाप ज़रूर नई दुनिया स्थापन करने आयेंगे। परन्तु (कल्प की आयु को) बहुत टाइम देने से घोर अन्धियारा हो गया है। ज्ञान और अज्ञान है ना। अज्ञान है भक्ति; जिसकी पूजा करत...
by Zero Zero
18 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli भगवान को ही ‘बेहद का बाप’ वा ‘विश्व का रचयिता’ कहा जाता है। आत्मा समझती है, ‘बाबा हमारे लिए स्वर्ग की सौगात लाये हैं; वही रचयिता है; स्वर्ग का मालिक बनाने के लिए राजयोग सिखाते हैं।’ कहते हैं - बाप को और विश्व के मालिकपने को याद करो। बाप बेहद का मालिक है तो जरूर बेहद की बड़ी दुनिया ही रच...
by Zero Zero
17 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli याद से ही तुम्हारे में जौहर भरेगा। ज्ञान को बल नहीं कहा जाता है। ‘योगबल’ कहा जाता है। योगबल से ही तुम विश्व के मालिक बनते हो। अब तुमको बहुतों को आप समान बनाना है। जब तक बहुतों को आप समान नहीं बनाया है तब तक विनाश हो न सके। भल बड़ी लड़ाई लग जाए, परन्तु फिर बन्द होती रहती है। अभी तो बहुतो...
by Zero Zero
16 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli मूल है ही पढ़ाई और कैरेक्टर - यह है ईश्वरीय पढ़ाई जो कोई पढ़ा न सके। रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त की, सृष्टि चक्र की नॉलेज है, यह कोई भी मनुष्य सारी दुनिया में नहीं जानते। ऋषि-मुनि जो इतने पढ़े लिखे अथॉरिटी हैं, वह प्राचीन ऋषि-मुनि खुद कहते थे कि ‘हम रचता और रचना को नहीं जानते’ (‘नेति-...
by Zero Zero
16 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli छोटा बच्चा पैदा होता है तो उनको पहले-पहले माँ-बाप का परिचय मिलता है। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार हैं, जिनको रचता बाप का परिचय मिला है। यह भी बच्चे जानते हैं, ऊंच ते ऊंच बाप ही है, उनकी ही महिमा बतानी है। महिमा गाते भी हैं, ‘शिवाए नम: ..’ - ब्रह्मा नम:, विष्णु नम: शोभता नही...
by Zero Zero
14 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani परमात्म प्यार आनंदमय झूला है जिस सुखदाई झूले में सदा झूलते रहते हैं। परमात्म प्यार अनेक जन्मों के दु:खों को एक सेकेण्ड में समाप्त कर देता है! परमात्म प्यार सर्व शक्ति सम्पन्न है, जो निर्बल आत्माओं को शक्तिशाली बना देता है। ... बापदादा तो यही हर बच्चे को दिल से वरदान देते हैं कि सदा परमा...
by Zero Zero
13 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli अब आत्मा की उन्नति अथवा शान्ति देने वाला सर्जन तो एक ही परमात्मा है। जब आत्मा की उन्नति हो, तब आत्मा को हेल्थ-वेल्थ भी मिले। शरीर को तो कितना भी करो, उससे (आत्मा को) कोई उन्नति नहीं होगी। शरीर की कुछ न कुछ खिटपिट तो रहती ही है। आत्मा की उन्नति तो सिवाए बाप के कोई कर न सके। और सब दुनिया ...
by Zero Zero
12 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बाप कहते हैं - सर्व का सद्गति दाता भी मैं हूँ। कल्प-कल्प मैं तुम बच्चों को राय देता हूँ कि अपने को आत्मा समझो और मुझे याद करो, तो आत्मा पतित से पावन बन जायेगी। आत्म-अभिमानी भव! दूसरे को भी आत्मा समझने से तुम्हारी क्रिमिनल आई नहीं होगी। आत्मा ही शरीर द्वारा कर्म करती है – ‘हम आत्मा हैं, ...