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by Zero Zero
11 Feb 2024
Forum: For BKs - to discuss BK experiences
Topic: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani बाप-दादा (शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा) सभी बच्चों से यही श्रेष्ठ आशा रखते हैं कि सभी बच्चे सहज पुरुषार्थी सदा रहो। (रावणराज्य में) 63 जन्म भक्ति में, उलझनों में भटकने की मेहनत की है, अब यह एक ही जन्म है (संगमयुग में) मेहनत से छूटने का। अगर बहुतकाल से मेहनत करते रहेंगे तो यह संगमयुग का वरदान...
by Zero Zero
10 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli जिसमें दैवीगुण हैं उनको (श्रेष्ठ) ‘देवता’ कहा जाता है, जिनमें नहीं हैं उनको (साधारण) ‘मनुष्य’ कहा जाता है। हैं तो दोनों ही मनुष्य। परन्तु देवताओं को पूजते क्यों हैं? क्योंकि उनमें दैवीगुण हैं (सतयुग और त्रेता युग के दौरान); और उनके (मनुष्यों के) कर्तव्य बन्दर जैसे हैं (द्वापर और कलियुग ...
by Zero Zero
10 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli वास्तव में ‘शिव जयन्ती’ ही तुम्हारे लिए सच्ची-सच्ची दीवाली है क्योंकि शिवबाबा आकर तुम आत्मा रूपी दीपक को जगाते हैं। हरेक के घर का दीप जलता है अर्थात् आत्मा की ज्योति जगती है। वह स्थूल दीपक जलाते लेकिन तुम्हारा सच्चा दीपक शिव बाप के आने से जगता है .. “In fact, ‘Shiv Jayanti’ is the true ...
by Zero Zero
08 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli सभी आत्मायें परमात्मा को याद करती हैं। कहती हैं – ‘ओ, गॉड-फादर’! तो ज़रूर बाप से वर्सा मिलता होगा। वह वर्सा खोने से दु:ख में आ जाते हैं। यह सुख दु:ख का खेल है। इस समय सभी पतित दु:खी हैं। पवित्र बनने से सुख ज़रूर मिलता है। सुख की दुनिया बाप स्थापन करते हैं! बच्चों को बुद्धि में यह रखना ह...
by Zero Zero
07 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं क्योंकि बहुत बेसमझ बन गये हैं। 5 हजार वर्ष पहले भी तुमको समझाया था, और दैवी कर्म भी सिखलाये थे। तुम देवी-देवता धर्म में आये थे, फिर ड्रामा प्लैन अनुसार पुनर्जन्म लेते-लेते और कलायें कमती होते-होते यहाँ प्रैक्टिकली बिल्कुल ही निल (nil) कला हो गई है, क्योंकि य...
by Zero Zero
06 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बाप शिक्षा देते हैं - तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान कैसे बनेंगे? अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो तो योग अग्नि से तुम्हारे पाप कट जायेंगे। कल्प पहले भी तुमको ज्ञान सिखलाकर देवता बनाया था, अभी तुम तमोप्रधान बन पड़े हो। फिर जरूर कोई तो सतोप्रधान बनाने वाला होगा। पतित-पावन कोई मनुष्य तो हो न सक...
by Zero Zero
05 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli कलियुग के बाद फिर सतयुग जरूर आना है। सतोप्रधान भी जरूर बनना है। बाप कहते हैं - अपने को आत्मा समझो। तुम्हारी आत्मा तमोप्रधान बनी है तो शरीर भी तमोप्रधान मिलता है। सोना जितना कैरेट (carat) होगा, जेवर भी ऐसा बनेगा। खाद पड़ती है ना! अब तुमको 24 कैरेट सोना बनना है। देही-अभिमनी भव! देह-अभिमान...
by Zero Zero
04 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Avyakt Vani सबसे बड़े ते बड़ा है अनुभवी मूर्त बनना। अनादि काल में जब परमधाम में हैं, तो सोचना स्वरूप नहीं हैं, स्मृति स्वरूप हैं। ‘मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ’ - यह भी सोचने का नहीं है, स्वरूप ही हैं। आदिकाल में भी (जब सतयुग में हैं) इस (संगम युग) समय के पुरुषार्थ का प्रालब्ध स्वरूप हैं। सोचना नही...
by Zero Zero
03 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli तुम वन्डरफुल स्टूडेण्ट हो। बाप ने समझाया है - 8 घण्टा आराम भी भल करो, 8 घण्टा शरीर निर्वाह के लिए काम भी भल करो। वह (जिस्मानी, लौकिक) धन्धा आदि भी करना है। साथ में यह (रूहानी, पारलौकिक) जो बाप ने धन्धा दिया है, आप समान बनाने का, यह भी शरीर निर्वाह हुआ ना। वह (जिस्मानी) है अल्पकाल के लिए...
by Zero Zero
02 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli बुद्धि तो आत्मा में है ना। भल अन्धे, लूले, लंगड़े हैं - परन्तु कोई न कोई प्रकार से समझ सकते हैं। अन्धों के कान तो हैं। तुम्हारा सीढ़ी का चित्र तो बहुत अच्छा है। यह नॉलेज कोई को भी समझाकर स्वर्ग में जाने लायक बना सकते हो। आत्मा बाप से वर्सा ले सकती है। स्वर्ग में जा सकती है! करके आरगन्स ...
by Zero Zero
01 Feb 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli इस रूहानी पढ़ाई में लग जाओ। यह तो भगवान् पढ़ाते हैं, जिससे तुम देवता बन जायेंगे, 21जन्मों के लिए। बाकी जो कुछ पढ़े हो वह सब भुलाना पड़े। एकदम बचपन में चले जाओ। अपने को आत्मा समझो। भल इन ऑखों से देखते हो - परन्तु देखते भी नहीं देखो। तुम्हें दिव्य दृष्टि, दिव्य बुद्धि मिली है तो समझते हो ...
by Zero Zero
31 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli आत्मा पहले सबकी सतोप्रधान होती है फिर धीरे-धीरे बैटरी खलास हो जाती है, इस समय सबकी बैटरी खलास है। अब फिर बैटरी चार्ज होती है। बाप कहते हैं - ‘मनमनाभव’। अपने को आत्मा समझो। बाप है सर्वशक्तिमान्, उनको याद करने से तुम्हारे पाप कट जायेंगे और फिर बैटरी भर जायेगी। तुम अभी फील कर रहे हो, हमारी...
by Zero Zero
30 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli तुम बच्चे जानते हो कि इस समय रावण राज्य है। मनुष्य पतित बनते जाते हैं। यह भी ड्रामा बना हुआ है। तुम बच्चों को (निराकार शिव बाबा) दोज़क से निकाल बहिश्त में ले जाते हैं। उनको ही ‘गॉर्डन आफ अल्लाह’ कहते हैं। कलियुग में है ‘काँटों का जंगल’, संगमयुग पर ‘फूलों का बगीचा’ बन रहा है। फिर वहाँ सत...
by Zero Zero
29 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli नई दुनिया तो बहुत छोटी होती है; सतयुग में देवताओं का जैसे एक गाँव है। शुरू में बाम्बे कितनी छोटी थी; अब देखो कितनी वृद्धि को पाया है। आत्मायें सब अपना पार्ट बजाती हैं, सब मुसाफिर हैं। बाप एक ही बार का मुसाफिर है। हो तुम भी एक ही बार के मुसाफिर। तुम भी एक ही बार आते हो। फिर पुनर्जन्म लेत...
by Zero Zero
27 Jan 2024
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Re: Extracts from the Sakar Murlis published by BKs

Sakar Murli अभी तुम बच्चों को ‘ज्ञान का तीसरा नेत्र’ मिला है। तुम जानते हो अब यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है। बिचारे मनुष्य नहीं जानते कि कौन बदलाने वाला है और कैसे बदलाते हैं क्योंकि उन्हों को ‘ज्ञान का तीसरा नेत्र’ ही नहीं है। तुम बच्चों को अभी ‘ज्ञान का तीसरा नेत्र’ मिला है जिससे तुम सृष्टि के आ...